बुंदेली समाज [బొందిలి సమాజ్] [ BONDILI SAMAAJ]
जहां तक बुन्देली शब्द का शाब्दिक अर्थ स्पष्ट ही है कि बुंदेलखंड क्षेत्र से भारत के अनेक प्रान्तों में सिपाही या अन्य व्यवसाय से जुड़े तथा विशेषकर सिपाही के रूप में, पधारे, अनेक[धर्मों ] वर्ण के [अधिक संख्या में ]लोगों ने अपनी सेवाएँ प्रदान कीं । संबन्धित प्रान्तों के क्षेत्रीय भाषाओं के उच्चारण के प्रभाव से कई प्रान्तों में इन अन्तर्देशीय प्रवासी उत्तरभारतियों को दक्षिण भारत में बोंदिली के नाम से जाना जाता है ।
दक्षिण में राजपूत , ब्राहमण {कन्नोजी या कान्यकुब्ज }, के कई परिवार बोंदिली के नाम से जाने जाते हैं । अपने मूलस्थान से
अलग होने के कारण कालांतर में राजपूत व कान्यकुब्ज ब्राह्मण परिवारों में निकटता बढ़ती चली गई धीरे धीरे इन परिवारों में रिश्तेदारी भी बनती
अलग होने के कारण कालांतर में राजपूत व कान्यकुब्ज ब्राह्मण परिवारों में निकटता बढ़ती चली गई धीरे धीरे इन परिवारों में रिश्तेदारी भी बनती
अस्तित्व को बनाए रखते हुए बोंदिली ब्राह्मण के रूप में प्रसिद्ध हैं ।
यह समाज पुरानी परंपराओं को निभाते हुए स्थानीय जीवन शैली को अपनाकर अपना अलग अस्थित्व व अलग पहचान के साथ दक्षिण में बोंदिली के नाम से जाने जाते हैं ।
यह समाज पुरानी परंपराओं को निभाते हुए स्थानीय जीवन शैली को अपनाकर अपना अलग अस्थित्व व अलग पहचान के साथ दक्षिण में बोंदिली के नाम से जाने जाते हैं ।