रविवार, 28 अगस्त 2016

बुंदेली समाज బొందిలి సమాజ్   BONDILI SAMAAJ  http://jaishanker63.wix.com/bondilisamaaj                  ब्राह्मण की वंशावली                                                                                                           भविष्य पुराण के अनुसार ब्राह्मणों का इतिहास है की प्राचीन काल में महर्षि कश्यप के पुत्र कण्वय की आर्यावनी नाम की देव कन्या पत्नी हुई। ब्रम्हा की आज्ञा से दोनों कुरुक्षेत्र वासनी सरस्वती नदी के तट  पर गये और कण् व चतुर्वेदमय सूक्तों में सरस्वती देवी की स्तुति करने लगे एक वर्ष बीत जाने पर वह देवी प्रसन्न हो वहां आयीं और ब्राम्हणो की समृद्धि के लिये उन्हें  वरदान दिया ।  वर के प्रभाव कण्वय के आर्य बुद्धिवाले दस पुत्र हुए जिनका  क्रमानुसार नाम था -


उपाध्याय,
दीक्षित,
पाठक,
शुक्ला,
मिश्रा,
अग्निहोत्री,
दुबे,
तिवारी,
पाण्डेय,
और
चतुर्वेदी ।
इन लोगो का जैसा नाम था वैसा ही गुण। इन लोगो ने नत मस्तक हो सरस्वती देवी को प्रसन्न किया। बारह वर्ष की अवस्था वाले उन लोगो को भक्तवत्सला शारदा देवी ने 
अपनी कन्याए प्रदान की।
वे क्रमशः
उपाध्यायी,
दीक्षिता,
पाठकी,
शुक्लिका,
मिश्राणी,
अग्निहोत्रिधी,
द्विवेदिनी,
तिवेदिनी
पाण्ड्यायनी,
और
चतुर्वेदिनी कहलायीं।
फिर उन कन्याआं के भी अपने-अपने पति से सोलह-सोलह पुत्र हुए हैं
वे सब गोत्रकार हुए जिनका नाम -
कष्यप,
भरद्वाज,
विश्वामित्र,
गौतम,
जमदग्रि,
वसिष्ठ,
वत्स,
गौतम,
पराशर,
गर्ग,
अत्रि,
भृगडत्र,
अंगिरा,
श्रंगी,
कात्याय,
और
याज्ञवल्क्य।
इन नामो से सोलह-सोलह पुत्र जाने जाते हैं।
मुख्य 10 प्रकार ब्राम्हणों ये हैं-
(1)
तैलंगा,
(2)
महार्राष्ट्रा,
(3)
गुर्जर,
(4)
द्रविड,
(5)
कर्णटिका,
यह पांच "द्रविण" कहे जाते हैं, ये विन्ध्यांचल के दक्षिण में पाय जाते हैं|
तथा
विंध्यांचल के उत्तर मं पाये जाने वाले या वास करने वाले ब्राम्हण
(1)
सारस्वत,
(2)
कान्यकुब्ज,
(3)
गौड़,
(4)
मैथिल,
(5)
उत्कलये,
उत्तर के पंच गौड़ कहे जाते हैं।
वैसे ब्राम्हण अनेक हैं जिनका वर्णन आगे लिखा है।
ऐसी संख्या मुख्य 115 की है।
शाखा भेद अनेक हैं । इनके अलावा संकर जाति ब्राम्हण अनेक है ।
यहां मिली जुली उत्तर व दक्षिण के ब्राम्हणों की नामावली 115 की दे रहा हूं।
जो एक से दो और 2 से 5 और 5 से 10 और 10 से 84 भेद हुए हैं,
फिर उत्तर व दक्षिण के ब्राम्हण की संख्या शाखा भेद से 230 के
लगभग है | 
तथा और भी शाखा भेद हुए हैं, जो लगभग 300 के करीब ब्राम्हण भेदों की संख्या का लेखा पाया गया है।
उत्तर व दक्षिणी ब्राम्हणां के भेद इस प्रकार है
81
ब्राम्हाणां की 31 शाखा कुल 115 ब्राम्हण संख्या
(1)
गौड़ ब्राम्हण,
(2)
मालवी गौड़ ब्राम्हण,
(3)
श्री गौड़ ब्राम्हण,
(4)
गंगापुत्र गौडत्र ब्राम्हण,
(5)
हरियाणा गौड़ ब्राम्हण,
(6)
वशिष्ठ गौड़ ब्राम्हण,
(7)
शोरथ गौड ब्राम्हण,
(8)
दालभ्य गौड़ ब्राम्हण,
(9)
सुखसेन गौड़ ब्राम्हण,
(10)
भटनागर गौड़ ब्राम्हण,
(11)
सूरजध्वज गौड ब्राम्हण(षोभर),
(12)
मथुरा के चौबे ब्राम्हण,
(13)
वाल्मीकि ब्राम्हण,
(14)
रायकवाल ब्राम्हण,
(15)
गोमित्र ब्राम्हण,
(16)
दायमा ब्राम्हण,
(17)
सारस्वत ब्राम्हण,
(18)
मैथल ब्राम्हण,
(19)
कान्यकुब्ज ब्राम्हण,
(20)
उत्कल ब्राम्हण,
(21)
सरवरिया ब्राम्हण,
(22)
पराशर ब्राम्हण,
(23)
सनोडिया या सनाड्य,
(24)
मित्र गौड़ ब्राम्हण,
(25)
कपिल ब्राम्हण,
(26)
तलाजिये ब्राम्हण,
(27)
खेटुवे ब्राम्हण,
(28)
नारदी ब्राम्हण,
(29)
चन्द्रसर ब्राम्हण,
(30)
वलादरे ब्राम्हण,
(31)
गयावाल ब्राम्हण,
(32)
ओडये ब्राम्हण,
(33)
आभीर ब्राम्हण,
(34)
पल्लीवास ब्राम्हण,
(35)
लेटवास ब्राम्हण,
(36)
सोमपुरा ब्राम्हण,
(37)
काबोद सिद्धि ब्राम्हण,
(38)
नदोर्या ब्राम्हण,
(39)
भारती ब्राम्हण,
(40)
पुश्करर्णी ब्राम्हण,
(41)
गरुड़ गलिया ब्राम्हण,
(42)
भार्गव ब्राम्हण,
(43)
नार्मदीय ब्राम्हण,
(44)
नन्दवाण ब्राम्हण,
(45)
मैत्रयणी ब्राम्हण,
(46)
अभिल्ल ब्राम्हण,
(47)
मध्यान्दिनीय ब्राम्हण,
(48)
टोलक ब्राम्हण,
(49)
श्रीमाली ब्राम्हण,
(50)
पोरवाल बनिये ब्राम्हण,
(51)
श्रीमाली वैष्य ब्राम्हण 
(52)
तांगड़ ब्राम्हण,
(53)
सिंध ब्राम्हण,
(54)
त्रिवेदी म्होड ब्राम्हण,
(55)
इग्यर्शण ब्राम्हण,
(56)
धनोजा म्होड ब्राम्हण,
(57)
गौभुज ब्राम्हण,
(58)
अट्टालजर ब्राम्हण,
(59)
मधुकर ब्राम्हण,
(60)
मंडलपुरवासी ब्राम्हण,
(61)
खड़ायते ब्राम्हण,
(62)
बाजरखेड़ा वाल ब्राम्हण,
(63)
भीतरखेड़ा वाल ब्राम्हण,
(64)
लाढवनिये ब्राम्हण,
(65)
झारोला ब्राम्हण,
(66)
अंतरदेवी ब्राम्हण,
(67)
गालव ब्राम्हण,
(68)
गिरनारे ब्राम्हण   
(69) बोंदिली ब्राह्मण 
सभी ब्राह्मण बंधुओ को मेरा नमस्कार बहुत दुर्लभ जानकारी है जरूर पढ़े। और समाज में सेयर करे हम क्या है
इस तरह ब्राह्मणों की उत्पत्ति और इतिहास के साथ इनका विस्तार अलग अलग राज्यो में हुआ और ये उस राज्य के ब्राह्मण कहलाये।
ब्राह्मण बिना धरती की कल्पना ही नहीं की जा सकती इसलिए ब्राह्मण होने पर गर्व करो और अपने कर्म और धर्म का पालन कर सनातन संस्कृति की रक्षा करे।
🙏🌹🙏जय श्री परशुराम🙏🌹